मंजिल

पाना है मंजिल को गर तो तुमको चलना होगा
होंगी बाधाएँ कदम-कदम , रोकेगी रास्ता हर डगर
रुकना नहीं है थकना नहीं है , बस कदम बढ़ाते रहना होगा
पाना है मंजिल को गर तो तुमको चलना होगा|

ज़माना कहेगा भी, हंसेगा और भिन्नभिनायेगा
सह हर पीड़ा हर अपमान को , बस सर उठाये चलना होगा
पाना है मंजिल को गर तो तुमको चलना होगा |

माता-पिता के अरमानो को अपने सोजन्यों के सम्मान  को
चलना पड़े पथ के काँटों पर तो चलना होगा
पाना है मंजिल को गर तो तुमका चलना होगा |

तोड़ के सरे बंधन को छोड़ के सारे आनंद को
कुछ कर जाने की ललक कुछ पा जाने की ज्वाला को निरंतर जलाये रखना होगा
पाना है मंजिल को गर तो तुमको चलना होगा |

दिखेगी मंजिल धुंधली दीवारों में
क्षणिक जीत या लम्बी हार में
मिल गयी अब तो है मंजिल या है बीच मझधार में इस अंधियारे को भी मिटाना होगा
पाना है मंजिल को गर तो तुमको चलना होगा |
... सुनील शर्मा... 

Comments

Popular posts from this blog

Adi Kailash Trek: A Journey to the sacred places in Himalaya

नगरकोट - काँगड़ा का ऐतिहासिक किला

Mahasu Peak- (Kufri) Shimla