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अदृश्य दानव

खड़ा हुआ है अदृश्य दानव  किया भयानक प्रहार है धरा पर छा रहा अंधकार,  उजाला ही   अब प्रतिकार है हो रहा मौत का तांडव  हर और मचा हाहाकार है जागृत हो रही प्रकृति , जड़ हो चूका संसार है किसे दोष दें किसे कहे  दुश्मन और किसे अब दुत्कार है खोज रहा क्या स्वयं में विकृति या बेजुबान पर ही अत्याचार है हो रही है घोषणा हम एक है  साथ सरकार है  है खज़ाना भर-भर , भूका फिर भी लाचार है सलाम मेरा उन वीरों को -वीरांगनाओं को हम सब  पर उनका उपकार है दुश्मन उनका घर के भीतर, चाहे सीमा -पार है  है लाज़िम युद्ध अब समय की  यही पुकार है दूर रहें और रहें  स्वच्छ, विजयी यही हथियार है |  सुनील शर्मा